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Saturday, May 9, 2015

भगवान की निष्काम भक्ति ही करनी चाहिये - Shre Radhe Radhe


निष्काम भक्ति..

एक भक्त था, वह रोज बिहारी जी के मंदिर जाता था। पर मंदिर में बिहारी जी की जगह उसे एक ज्योति दिखाई देती थी, मंदिर में बाकी के सभी भक्त कहते- वाह ! आज बिहारीजी का श्रंगार कितना अच्छा है,
बिहारी जी का मुकुट ऐसा, उनकी पोशाक ऐसी,, तो वह भक्त सोचता... बिहारी जी सबको दर्शन देते है, पर मुझे
क्यों केवल एक ज्योति दिखायी देती है । 


हर दिन ऐसा होता। एक दिन बिहारी जी से बोला ऐसी क्या बात है की आप सबको तो दर्शन देते है पर मुझे दिखायी नहीं देते । कल आपको मुझे दर्शन देना ही पड़ेगा. अगले दिन मंदिर गया फिर बिहारी जी उसे जोत के रूप में दिखे ।

Friday, May 8, 2015

shree Krishan - श्रीकृष्ण भगवान द्वारका में



श्रीकृष्ण भगवान द्वारका में रानी सत्यभामा के साथ सिंहासन पर विराजमान थे, निकट ही गरुड़ और
सुदर्शन चक्र भी बैठे हुए थे। तीनों के चेहरे पर दिव्य तेज झलक रहा था।

बातों ही बातों में रानी सत्यभामा ने श्रीकृष्ण से पूछा कि, "हे प्रभु, आपने त्रेता युग में राम के रूप में अवतार लिया था, सीता आपकी पत्नी थीं। क्या वे मुझसे भी ज्यादा सुंदर थीं ?"

द्वारकाधीश समझ गए कि सत्यभामा को अपने रूप का अभिमान हो गया है।
तभी गरुड़ ने कहा कि, "भगवान! क्या दुनिया में मुझसे भी ज्यादा तेज गति से कोई उड़ सकता है?
इधर सुदर्शन चक्र से भी रहा नहीं गया और वह भी कह उठे कि, "भगवान! मैंने बड़े-बड़े युद्धों में आपको विजयश्री दिलवाई है। क्या संसार में मुझसे भी शक्तिशाली कोई है?"

भगवान मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे। वे जान रहे थे कि उनके इन तीनों भक्तों को, 'अहंकार', हो गया है और इनका अहंकार नष्ट होने का समय आ गया है।

ऐसा सोचकर उन्होंने गरुड़ से कहा कि, "हे गरुड़! तुम हनुमान के पास जाओ और कहना कि भगवान राम, माता सीता के साथ उनकी प्रतीक्षा कर रहे हैं।" गरुड़ भगवान की आज्ञा लेकर हनुमान को लाने चले गए।

इधर श्रीकृष्ण ने सत्यभामा से कहा कि, "देवी! आप सीता के रूप में तैयार हो जाएं" और स्वयं द्वारकाधीश ने राम का रूप धारण कर लिया। मधुसूदन ने सुदर्शन चक्र को आज्ञा देते हुए कहा कि, "तुम महल के प्रवेश द्वार पर पहरा दो। और ध्यान रहे कि मेरी आज्ञा के बिना महल में कोई प्रवेश न करे।"

भगवान की आज्ञा पाकर चक्र महल के प्रवेश द्वार पर तैनात हो गए।

गरुड़ ने हनुमान के पास पहुंच कर कहा कि, "हे वानरश्रेष्ठ! भगवान राम माता सीता के साथ द्वारका में आपसे मिलने के लिए प्रतीक्षा कर रहे हैं। आप मेरे साथ चलें। मैं आपको अपनी पीठ पर बैठाकर शीघ्र ही वहां ले जाऊंगा।"

हनुमान ने विनयपूर्वक गरुड़ से कहा, "आप चलिए, मैं आता हूं।" गरुड़ ने सोचा, "पता नहीं यह बूढ़ा वानर कब पहुंचेगा। खैर मैं भगवान के पास चलता हूं।" यह सोचकर गरुड़ शीघ्रता से द्वारका की ओर उड़े।

पर यह क्या, महल में पहुंचकर गरुड़ देखते हैं कि हनुमान तो उनसे पहले ही महल में प्रभु के सामने बैठे हैं। गरुड़ का सिर लज्जा से झुक गया।

तभी श्रीराम ने हनुमान से कहा कि, "पवन पुत्र! तुम बिना आज्ञा के महल में कैसे प्रवेश कर गए? क्या तुम्हें किसी ने प्रवेश द्वार पर रोका नहीं?"

हनुमान ने हाथ जोड़ते हुए सिर झुका कर अपने मुंह से सुदर्शन चक्र को निकाल कर प्रभु के सामने रख दिया।
हनुमान ने कहा कि, "प्रभु! आपसे मिलने से मुझे इस चक्र ने रोका था, इसलिए इसे मुंह में रख मैं आपसे मिलने आ गया। मुझे क्षमा करें।"

भगवान मंद-मंद मुस्कुराने लगे। हनुमान ने हाथ जोड़ते हुए श्रीराम से प्रश्न किया, "हे प्रभु! आज आपने माता सीता के स्थान पर किस दासी को इतना सम्मान दे दिया कि वह आपके साथ सिंहासन पर विराजमान है।"

अब रानी सत्यभामा के अहंकार भंग होने की बारी थी। उन्हें सुंदरता का अहंकार था, जो पलभर में चूर हो गया था। रानी सत्यभामा, सुदर्शन चक्र व गरुड़, तीनों का गर्व चूर-चूर हो गया था।

वे भगवान की लीला समझ रहे थे। तीनों की आंख से आंसू बहने लगे और वे भगवान के चरणों में झुक गए।
अद्भुत लीला है प्रभु की। अपने भक्तों के अंहकार को अपने भक्त द्वारा ही दूर किया।

- जय श्री राधे राधे !!

Thursday, May 7, 2015

ब्रजभूमि की परिक्रमा - Braj Bhoomi Ki Parikrama


ब्रजभूमि की परिक्रमा

यदि दुनियां के सबसे पवित्र और अलग हटकर दृश्य देखने हैं तो वह चाहत पूरी होगी यहां आस्था का मन लेकर, परिक्रमा करने से। उत्तर प्रदेश राज्य का यह हिस्सा राजस्थान प्रांत से भी सटा हुआ है। 84 कोस की परिक्रमा पैदल चलने वाले ही यहां के प्रत्येक स्थलों के दर्शन कर पाते हैं। इस परिक्रमा में सैकडों किमी की यात्रा आपको श्रद्घा भाव से करनी होती है जो मथुरा, बरसाना, छाता, कमई, गोवर्धन, कांमा, सहार, कोसी, वृंदावन, गोकुल समेत अलीगढ, डीग, फरीदाबाद, आगरा जिलों से घूमते हुए पूरी होती है। इतना ही नहीं इसके बाद यह भी स्थल आपके मन में दिव्यता प्रकट करेंगे…

1. मधुवन
2. तालवन
3. कुमुदवन
4. शांतनु कुण्ड
5. सतोहा
6. बहुलावन
7. राधा-कृष्ण कुण्ड
8. ततारपुर
9. काम्यक वन
10. संच्दर सरोवर
11. जतीपुरा
12. डीग का लक्ष्मण मंदिर
13. साक्षी गोपाल मंदिर
14. जल महल
15. कमोद वन
16. चरन पहाड़ी कुण्ड
17. काम्यवन
18. छत्रवन
19. नंदगांव
20. जावट
21. कोकिलावन
22.सहबाहु
23. शेरगढ
24. चीर घाट
25. नौहझील
26. श्री भद्रवन
27. भांडीरवन
28. बेलवन
29. राया वन
30. गोपाल कुण्ड
31. कबीर कुण्ड
32. भोयी कुण्ड
33. ग्राम पडरारी के वनखंडी में शिव मंदिर
34. दाऊजी
35. महावन
36. ब्रह्मांड घाट
37. चिंताहरण महादेव
38. मानसीगंगा
39. लोहवन
40. नरी-सेमरी

इस यात्रा मार्ग में कई और पौराणिक स्थलों के अलावा 12 वन, 24 उपवन, चार कुंज, चार निकुंज, चार वनखंडी, चार ओखर, चार पोखर, 365 कुण्ड, चार सरोवर, दस कूप, चार बावरी भी जो या दुनियां में कहीं और जगह नहीं हैँ, आपको मिलेंगे जी।

- - जय श्री राधे राधे !!

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