एक बार भोले शंकर ने दुनिया पर बड़ा भारी कोप किया।
पार्वती को साक्षी बनाकर संकल्प किया कि जब तक यह दुष्ट दुनिया सुधरेगी नहीं, तब तक शंख नहीं बजाएंगे।
शंकर भगवान शंख बजाएं तो बरसात हो।
बरसात रुक गई।
अकाल-दर-अकाल पड़े। पानी की बूंद तक नहीं बरसी।
न किसी राजा के क्लेश व सन्ताप की सीमा रही और न किसी रंक की।
पार्वती को साक्षी बनाकर संकल्प किया कि जब तक यह दुष्ट दुनिया सुधरेगी नहीं, तब तक शंख नहीं बजाएंगे।
शंकर भगवान शंख बजाएं तो बरसात हो।
बरसात रुक गई।
अकाल-दर-अकाल पड़े। पानी की बूंद तक नहीं बरसी।
न किसी राजा के क्लेश व सन्ताप की सीमा रही और न किसी रंक की।