Advertisements

Wednesday, December 3, 2014

कभी राम बनके कभी श्याम बनके चले आना प्रभुजी चले आना


कभी राम बनके कभी श्याम बनके चले आना प्रभुजी चले आना

कभी राम बनके कभी श्याम बनके चले आना प्रभुजी चले आना





तुम राम रूप में आना, तुम राम रूप में आना

सीता साथ लेके, धनुष हाथ लेके,

चले आना प्रभुजी चले आना...

कभी राम बनके कभी श्याम बनके चले आना प्रभुजी चले आना

Tuesday, November 11, 2014

Bhagavad Gita - गीता सार

  • " खाली हाथ अाए अौर खाली हाथ चले। जो अाज तुम्हारा है, कल अौर किसी का था, परसों किसी अौर का होगा। इसीलिए, जो कुछ भी तू करता है, उसे भगवान के अर्पण करता चल। " 

  • क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो? किससे व्यर्थ डरते हो? कौन तुम्हें मार सक्ता है? अात्मा ना पैदा होती है, न मरती है।


  •  जो हुअा, वह अच्छा हुअा, जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है, जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा। तुम भूत का पश्चाताप न करो। भविष्य की चिन्ता न करो। वर्तमान चल रहा है।


  • तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हो? तुम क्या लाए थे, जो तुमने खो दिया? तुमने क्या पैदा किया था, जो नाश हो गया? न तुम कुछ लेकर अाए, जो लिया यहीं से लिया। जो दिया, यहीं पर दिया। जो लिया, इसी (भगवान) से लिया। जो दिया, इसी को दिया।

Advertisements