वन वन ढूंढ रही थी तुमको बन के जोगन प्रेम दीवानी
यही सोच के मिलेंगे हम तुम बन जाएगी प्रेम कहानी
है कोई जो मिलन करा दे मेरा प्रियतम मुझे मिला दे
बिन सोचे बिन कारन ही मैं निकल पड़ी घर छोड़
सायद इस अबला पे तरस खा जाएंगे मन मोहन
क्यों नहीं अपनाते मुझको अपना दरस दिखाते मुझको
माना की पापिन बहुत बड़ी हु पर तुम भी दयालु कम तो नहीं
मो पे कृपा करो गिरधारी मो पे कृपा करो गिरधारी
कब कृपा करोगे सांवरिया कब कृपा करोगे बनवारी