यह तो बता दो बरसाने वाली मैं कैसे तुम्हारी लगन छोड़ दूंगा ...
न पुछो किये मैंने अपराध क्या- क्या कहीं यह जमीन-आसमान हिल न जाये...
जब तक मेरी श्यामा क्षमा न करोगी मैं कैसे तुम्हारे चरण छोड़ दूंगा...!!
बहुत ठोकरे खा चूका जिंदगी में तमन्ना फकत तेरे दीदार की है...
जब तक मेरी श्यामा दर्श न दोगी मैं कैसे तुम्हारा भजन छोड़ दूंगा...!!
तारो न तारो ये मर्जी तुम्हारी निर्धन की बस आखरी बात सुन लो...
मुझसा पतित और अधम जो न तारा तेरे ही दर पर मैं दम तोड़ दुगा...!!
~ दिल से बोलो जी राधे राधे~