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Thursday, July 2, 2015

यह तो बता दो बरसाने वाली मैं कैसे तुम्हारी लगन छोड़ दूंगा




यह तो बता दो बरसाने वाली मैं कैसे तुम्हारी लगन छोड़ दूंगा ... 

तेरी दया से यह जीवन है मेरा मैं कैसे तुम्हारी शरण छोड़ दूंगा...!!


न पुछो किये मैंने अपराध क्या- क्या कहीं यह जमीन-आसमान हिल न जाये... 

जब तक मेरी श्यामा क्षमा न करोगी मैं कैसे तुम्हारे चरण छोड़ दूंगा...!!


बहुत ठोकरे खा चूका जिंदगी में तमन्ना फकत तेरे दीदार की है...

जब तक मेरी श्यामा दर्श न दोगी मैं कैसे तुम्हारा भजन छोड़ दूंगा...!!


तारो न तारो ये मर्जी तुम्हारी  निर्धन की बस आखरी बात सुन लो... 

मुझसा पतित और अधम जो न तारा तेरे ही दर पर मैं दम तोड़ दुगा...!!


~ दिल से बोलो जी राधे राधे~

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