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Sunday, April 5, 2015

कब कृपा करोगे सांवरिया कब कृपा करोगे बनवारी


वन वन ढूंढ रही थी तुमको बन के जोगन प्रेम दीवानी 

यही सोच के मिलेंगे हम तुम बन जाएगी प्रेम कहानी

है कोई जो मिलन करा दे मेरा प्रियतम मुझे मिला दे  

बिन सोचे बिन कारन ही मैं निकल पड़ी घर छोड़

सायद इस अबला पे तरस खा जाएंगे मन मोहन  

क्यों नहीं अपनाते मुझको अपना दरस दिखाते मुझको

माना की पापिन बहुत बड़ी हु पर तुम भी दयालु कम तो नहीं

मो पे कृपा करो गिरधारी मो पे कृपा करो गिरधारी

कब कृपा करोगे सांवरिया कब कृपा करोगे बनवारी

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