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Tuesday, March 24, 2015
श्री कृष्ण और एक अंग्रेज भगत कि सुन्दर कहानी
रोनाल्ड निक्सन जो कि एक अंग्रेज थे कृष्ण प्रेरणा से ब्रज में आकर बस गये …
उनका कन्हैया से इतना प्रगाढ़ प्रेम था कि वे कन्हैया को अपना छोटा भाई मानने लगे थे……
एक दिन उन्होंने हलवा बनाकर ठाकुर जी को भोग लगाया पर्दा हटाकर देखा
तो हलवे में छोटी छोटी उँगलियों के निशान थे ……
जिसे देख कर 'निक्सन' की आखों से अश्रु धारा बहने लगी …
क्यूँ कि इससे पहले भी वे कई बार भोग लगा चुके थे पर पहलेकभी ऐसा नहीं हुआ था |
और एक दिन तो ऐसी घटना घटी कि सर्दियों का समय था, निक्सन जी कुटिया के बाहर सोते थे |
ठाकुर जी को अंदर सुलाकर विधिवत रजाई ओढाकर फिर खुद लेटते थे |
एक दिन निक्सन सो रहे थे……
मध्यरात्रि को अचानक उनको ऐसा लगा जैसे किसी ने उन्हें आवाज दी हो... दादा ! ओ दादा !
उन्होंने उठकर देखा जब कोई नहीं दिखा तो सोचने लगे हो
सकता हमारा भ्रम हो, थोड़ी देर बाद उनको फिर सुनाई दिया.... दादा ! ओ दादा !
सकता हमारा भ्रम हो, थोड़ी देर बाद उनको फिर सुनाई दिया.... दादा ! ओ दादा !
उन्होंने अंदर जाकर देखा तो पता चला की वे ठाकुर जी को रजाई ओढ़ाना भूल गये थे |
वे ठाकुर जी के पास जाकर बैठ गये और बड़े प्यार से बोले...''आपको भी सर्दी लगती है क्या...?''
निक्सन का इतना कहना था कि ठाकुर जी के श्री विग्रह से आसुओं की अद्भुत धारा बह चली...
ठाकुर जी को इस तरह रोता देख निक्सनजी भी फूट फूट कर रोने लगे.....
उस रात्रि ठाकुर जी के प्रेम में वह अंग्रेज भक्त इतना रोया कि उनकी आत्मा उनके पंचभौतिक शरीर को छोड़कर बैकुंठ को चली गयी | हे ठाकुर जी ! हम इस लायक तो नहीं कि ऐसे भाव के साथ आपके लिए रो सकें.....पर फिर भी इतनी प्रार्थना करते हैं कि....
''हमारे अंतिम समय में हमे दर्शन भले ही न देना पर…… अंतिम समय तक ऐसा भाव जरूर दे देना जिससे आपके लिए तडपना और व्याकुल होना ही हमारी मृत्यु का कारण बने....''.
बोलिये वृन्दावन बिहारी लाल की जय
जय जय श्री राधे राधे
Sunday, March 22, 2015
किसकी मोहब्बत ज्यादा है तुम्हारी या मेरी
भक्त ने भगवान कृष्ण से पूछा हे कृष्ण
" किसकी मोहब्बत ज्यादा है, तुम्हारी, या मेरी "
भगवान कृष्ण ने मुस्कुरा के बोले कि -.
" जा के समंदर के किनारे तुम अपने हाथों में पानी
उठा लेना,
जितना तुम उठा लो वो तुम्हारी चाहत ओर
जो उठा न सको वो हमारी चाहत."
जय श्री राधे राधे !!
हक़ीक़त में भी बढ़ाया करो कान्हा नजदीकी हमसे !!
ख़्वाबों की मुलाक़ातों से तसल्ली नहीं होती !!
Thursday, March 19, 2015
केवल श्री कृष्ण के लिये धडकता है
ना रईस हूँ , ना अमीर हूँ ...
न मैं बादशाह हूँ ना वजीर हूँ ....
न मैं बादशाह हूँ ना वजीर हूँ ....
तेरा इश्क है मेरी सल्तनत ,
मैं उसी सल्तनत का फ़क़ीर हूँ .......
मैं उसी सल्तनत का फ़क़ीर हूँ .......
खूबसूरत है वो लब ........ जिन पर ,
केवल श्री कृष्ण नाम ......की चर्चा है !!
केवल श्री कृष्ण नाम ......की चर्चा है !!
खूबसूरत है ............ वो दिल जो ,
केवल श्री कृष्ण के लिये धडकता है !!
केवल श्री कृष्ण के लिये धडकता है !!
खूबसूरत है वो जज़बात जो ,
श्री कृष्ण संग की भावनाओं को समझ जाए !!
श्री कृष्ण संग की भावनाओं को समझ जाए !!
खूबसूरत है.....वो एहसास जिस में ,
श्री कृष्ण प्रेम ......की मिठास हो जाए !!
श्री कृष्ण प्रेम ......की मिठास हो जाए !!
खूबसूरत हैं ....... वो बाते जिनमे ,
श्री कृष्ण ......... की बाते शमिल हो !!
श्री कृष्ण ......... की बाते शमिल हो !!
खूबसूरत है.......वो आँखे जिनमें ,
श्री कृष्ण के ..... दर्शन की प्यास है !!
श्री कृष्ण के ..... दर्शन की प्यास है !!
खूबसूरत है .... वो हाथ जो
श्री कृष्ण की सेवा में लगे रहते है !!
श्री कृष्ण की सेवा में लगे रहते है !!
खूबसूरत है........... वो सोच जिसमें ,
केवल श्री कृष्ण की ही सोच हो !!
केवल श्री कृष्ण की ही सोच हो !!
खूबसूरत हैं .......... वो पैर जो ,
दिन रात केवल प्यारे श्री कृष्ण की तरफ बढ़ते है !!
दिन रात केवल प्यारे श्री कृष्ण की तरफ बढ़ते है !!
खूबसूरत हैं ...... वो आसूँ ,
जो केवल प्यारे श्री कृष्ण के लिये बहते है !!
जो केवल प्यारे श्री कृष्ण के लिये बहते है !!
ख़ूबसूरत हैं..........वो कान ,
जो कृष्ण नाम के गुणगान सुनते हैं !!
जो कृष्ण नाम के गुणगान सुनते हैं !!
ख़ूबसूरत हैं..........वो शीश ,
जो कृष्ण चरणों में नमन के लिये झुकते हैं !!
जो कृष्ण चरणों में नमन के लिये झुकते हैं !!
जय श्री राधे राधे !!
Wednesday, March 18, 2015
कभी प्रीत लगाई नहीं वो प्रीत निभाना क्या जाने
जो प्रेम गली में आया ही नहीं कृष्णा प्रीतम का ठिकाना क्या जाने
जिसने कभी प्रीत लगाई नहीं वो प्रीत निभाना क्या जाने
जो वेद पढ़े और भेद करे मन में नहीं निर्मलता आई
वह चाहे कितना ज्ञान कहे भगवान को पाना क्या जाने
जय श्री राधे राधे !!
पुण्य कोटी जन्मों का उदित हो जाता हैं, वृंदावन धाम में जो एक बार आ जाता हैं।
कामना न रहती किसी और बात की उसको, स्वर्ग पूर विमान यूँ कह कर फिराता हैं।
"ऐ हो देवदूतो !! क्यों विमान हो लाए यहाँ, अरे! वृंदावन छोड के बैकुंठ कौन जाता हैं।
Tuesday, March 17, 2015
हे कान्हा kanha
मैं दुनियाँ से यह नही कहता की मेरी परेशानी कितनी बड़ी है
बल्कि परेशानी से कहता हु की मेरी डोर सांवरे से जुडी है
......... हे कान्हा ..........
मेरे दिल के कोने कोने में कान्हा तेरा घर बन जाये
ऐसा वरदान दो कान्हा मेरी में तुझे पुकारु और
तू सामने मेरे आ जाये नादान हूँ मै कान्हा
मुझसे भूल कोई ना हो जाये
मेरा दामन थाम के कान्हा तू सत की राह दिखाए
मन में है विश्वास ये कान्हा कभी टूटने ना पाये
मेरे दिल के कोने कोने में तेरा घर बन जाये
तुम्हारे चरणों का दास
जय श्री राधे
Monday, March 16, 2015
भगवान को खिचड़ी का भोग क्यू लगता है
कर्माबाई भगवान को बालभाव से भजती थीं. ठाकुरजी से पुत्र की तरह बातें करती. एक दिन बिहारीजी को अपने हाथ से कुछ बनाकर खिलाना चाहा. गोपाल बोले- जो भी बना है वही खिला दो. खिचड़ी बनी थी. ठाकुरजी ने चाव से खाया. कर्माबाई पंखा झलने लगीं कि कहीं गोपाल के मुंह न जल जाएं.
भगवान ने कहा-मेरे लिए खिचड़ी पकाया करो. रोज सुबह उठतीं पहले खिचड़ी बनातीं. बिहारीजी आते खिचड़ी खाकर जाते. एकबार एक साधु कर्माबाईजी के घर आया. उसने सुबह-सुबह खिचड़ी बनाते देखा तो कहा-नहा धोकर भगवान के लिए प्रसाद बनाओ.
कर्माबाई बोलीं-क्यां करूं,गोपाल सुबह-सुबह भूखे आ जाते हैं. उसने चेताया भगवान को अशुद्ध मत करो. स्नान के बाद रसोई साफ करो फिर भोग बनाओ.
सुबह भगवान आए और खिचड़ी मांगा. वह बोलीं-स्नान कर रही हूँ, रुको! थोड़ी देर बाद भगवान ने फिर आवाज लगाई. वह बोलीं- सफाई कर रही हूं. भगवान ने सोचा आज माँ को क्या हो गया.
भगवान ने झटपट खिचड़ी खायी, पर खिचड़ी में भाव का स्वाद नहीं आया. जल्दी में बिना पानी पिए ही भागे, संत को देखा तो समझ गए.
मंदिर के पुजारी ने पट खोले तो देखा भगवान के मुख से खिचड़ी लगी है. प्रभु! खिचड़ी आप के मुख में कैसे लगी.
भगवान ने कहा-आप उस संत को समझाओ, मेरी माँ को कैसी पट्टी पढाई. पुजारी ने संत से सारी बात कही. वह कर्माबाई से बोला- ये नियम संतो के लिए हैं. आप जैसे चाहो बनाओ.
एकदिन कर्माबाईजी के भी प्राण छूटे. उस दिन भगवान बहुत रोए. पुजारी ने भगवान को रोता देख कारण पूछा. वह बोले - आज माँ इस लोक से विदा हो गई. अब मुझे कौन खिचड़ी खिलाएगा.
पुजारी ने कहा- प्रभु माता की कमी महसूस न होने दी जाएगी. आज से सबसे पहले रोज खिचड़ी का भोग लगेगा
इस तरह आज भी जगन्नाथ भगवान को खिचड़ी का भोग लगता है.
जय श्री राधे राधे !!
Friday, March 13, 2015
राधा रानी की अष्ट सखियो के बारे मे जानते है
1. ललिता सखी - ये सखी सबसे चतुर और पिय सखी है। राधा रानी को तरह-तरह के खेल खिलाती है। कभी-कभी नौका-विहार, वन-विहार कराती है। ये सखी ठाकुर जी को हर समय बीडा(पान) देती रहती है। ये ऊँचे गाव मे रहती है। इनकी उम 14 साल 8 महीने 27 दिन है।
2. विशाखा सखी - ये गौरांगी रंग की है। ठाकुर जी को सुदंर-सुदंर चुटकुले सुनाकर हँसाती है। ये सखी सुगन्धित दव्यो से बने चन्दन का लेप करती है। इनकी उम 14 साल 2 महीने 15 दिन है।
3.चम्पकलता सखी - ये सखी ठाकुर जी को अत्यन्त पेम करती है। ये करहला गाव मे रहती है।इनका अंग वण पुष्प-छटा की तरह है।ये ठाकुर जी की रसोई सेवा करती है। इनकी उम 14 साल 2 महीने 13 दिन है।
4. चिता सखी - ये सखी राधा रानी की अति मन भावँती सखी है। ये बरसाने मे चिकसौली गाव मे रहती है। जब ठाकुर जी 4 बजे सोकर उठते है तब यह सखी फल, शबत, मेवा लेकर खड़ी रहती है। इनकी उम 14 साल 7 महीने 14 दिन है।
5. तुगंविधा सखी - ये सखी चदंन की लकड़ी के साथ कपूर हो ऐसे महकती है।ये युगलवर के दरबार मे नृत्य ,गायन करती है।ये वीणा बजाने मे चतुर है
ये गौरा माँ पार्वती का अवतार है। इनकी उम 14 साल 2 महीने 22 दिन है।
6. इन्दुलेखा सखी - ये सखी अत्यन्त सुझबुझ वाली है। ये सुनहरा गाव मे रहती है।ये किसी कि भी हस्तरेखा को देखकर बता सकती है कि उसका क्या भविष्य है। ये पेम कहानियाँ सुनाती है। इनकी उम 14 साल 2 महीने 10 दिन है।
7. रगंदेवी सखी - ये बड़ी कोमल व सुदंर है। ये राधा रानी के नैनो मे काजल लगाती है और शिंगार करती है।इनकी उम 14 साल 2 महीने 4 दिन की है।
8.सुदेवी सखी - ये सबसे छोटी सखी है। बड़ी चतुर और पिय सखी है। ये सुनहरा गाव मे रहती है। ये ठाकुर जी को पानी पिलाने की सेवा करती है।इनकी उम 14 साल 2 महीने 4 दिन की है।
जय श्री राधे राधे !!
Wednesday, March 11, 2015
भगवान कृष्ण की लीलाएँ - Lord Krishna Story
बहुत समय पहले की बात है वृन्दावन में श्रीबांके बिहारी जी के मंदिर में रोज पुजारी जी बड़े भाव से सेवा करते थे। वे रोज बिहारी जी की आरती करते , भोग लगाते और उन्हें शयन कराते और रोज चार लड्डू भगवान के बिस्तर के पास रख देते थे। उनका यह भाव था कि बिहारी जी को यदि रात में भूख लगेगी तो वे उठ कर खा लेंगे। और जब वे सुबह मंदिर के पट खोलते थे तो भगवान के बिस्तर पर प्रसाद बिखरा मिलता था। इसी भाव से वे रोज ऐसा करते थे।
एक दिन बिहारी जी को शयन कराने के बाद वे चार लड्डू रखना भूल गए। उन्होंने पट बंद किए और चले गए। रात में करीब एक-दो बजे , जिस दुकान से वे बूंदी के लड्डू आते थे , उन बाबा की दुकान खुली थी। वे घर जाने ही वाले थे तभी एक छोटा सा बालक आया और बोला बाबा मुझे बूंदी के लड्डू चाहिए।
बाबा ने कहा - लाला लड्डू तो सारे ख़त्म हो गए। अब तो मैं दुकान बंद करने जा रहा हूँ। वह बोला आप अंदर जाकर देखो आपके पास चार लड्डू रखे हैं। उसके हठ करने पर बाबा ने अंदर जाकर देखा तो उन्हें चार लड्डू मिल गए क्यों कि वे आज मंदिर नहीं गए थे। बाबा ने कहा - पैसे दो।
बालक ने कहा - मेरे पास पैसे तो नहीं हैं और तुरंत अपने हाथ से सोने का कंगन उतारा और बाबा को देने लगे। तो बाबा ने कहा - लाला पैसे नहीं हैं तो रहने दो , कल अपने बाबा से कह देना , मैं उनसे ले लूँगा। पर वह बालक नहीं माना और कंगन दुकान में फैंक कर भाग गया। सुबह जब पुजारी जी ने पट खोला तो उन्होंने देखा कि बिहारी जी के हाथ में कंगन नहीं है। यदि चोर भी चुराता तो केवल कंगन ही क्यों चुराता। थोड़ी देर बाद ये बात सारे मंदिर में फ़ैल गई।
जब उस दुकान वाले को पता चला तो उसे रात की बात याद आई। उसने अपनी दुकान में कंगन ढूंढा और पुजारी जी को दिखाया और सारी बात सुनाई। तब पुजारी जी को याद आया कि रात में , मैं लड्डू रखना ही भूल गया था। इसलिए बिहारी जी स्वयं लड्डू लेने गए थे।
यदि भक्ति में भक्त कोई सेवा भूल भी जाता है तो भगवान अपनी तरफ से पूरा कर लेते हैं।
जय जय श्री राधे कृष्णा
Sunday, March 8, 2015
मिठाइयो पे लगा चाँदी का वर्क क्या है - chandi ka work
जिसको चाँदी का वर्क कह के मिठाइयो पे लगाया जाता है, क्या आप जानते है वो असल में क्या चीज है और कैसे बनता है....???
आप को जब ये पता चलेगा तो आप उस से बनी हुई मिठाई खाना तो दूर, आप उसे देखते पे भी उस पे घिन्न आयेगी...
अब जानते है ये चांदी का वर्क बनता कैसे है-
असल में यह वर्क चाँदी का होता ही नहीं है। यह एल्युमिनियम जैसी एक चमकीली धातु से बनाया जाता है।
आप को ये बताना चाहता हूँ की जब गौमाता को मारा जाता है तो गौ माता के पेट से जो आंत निकलती है सिर्फ उससे ही वर्क बन सकता है।
ध्यान रहे : यह अन्य किसी भी पशु की आंत से या किसी अन्य वस्तु से कभी नहीं बन सकती....
यह बनती है, आंत को काट कर उसके अंदर उस चमकीली चाँदी जैसी धातू का वर्क का बड़ा टुकड़ा
डाल दिया जाता है और फिर उस चमकीली धातु को गाय की आत में डाल कर लकड़ी के हतोड़े से खूब देर
पिटाई की जाती है
डाल दिया जाता है और फिर उस चमकीली धातु को गाय की आत में डाल कर लकड़ी के हतोड़े से खूब देर
पिटाई की जाती है
जिससे आंत फ़ैल जाती है क्यों की गऊ की आंत कभी नहीं फटती वर्क जो आसानी से पिटाई के दोरान फ़ैल
जाता है और पूरी आंत वर्क में बदल जाती है
लेकिन हम इतने शर्म-निर्पेक्स हैं कि हममे से कइयो को कुछ पता होते हुए भी वर्क वाली मिठाइयो का सेवन कर गौहत्या बढ़ाने का पाप कर रहे हैं....
आप सब से एक नम्र निवेदन :
सभी गौ रक्षक, गौ प्रेमियों आओ हम सब कसम खाये की हमारे घर पर चाँदी के वर्क लगी मिठाई या कोई अन्य खाने की वस्तु को ना हम आपने घर पर लायेगे और ना ही किसी को उपहार में देंगे
हमें चाँदी जैसी चमकीली धातु वाले वर्क की लगी मिठाई ना हम खायेगे और ना ही
आपने परिवार, सगे सबंधियो एवं
मित्रो को खाने देगे ....
मित्रो को खाने देगे ....
जिस दिन से हम ये करने लगेगे आप देख लेना 3०-40% बुचड खाने बंद हो जायेगे ...... चाँदी वर्क बनाने के लिए भारत मे हर साल एक लाख सोलह हजार गायों का क़त्ल किया जाता हे ......
चाँदी का वर्क गाय की आंतड़ियों के बीच रखकर कुट कर बनाया जाता हे........आप चांदी के वर्क लगी मीठाई
नहीं खाये..............नहीं तो आप ओर गोमांस भक्षी मे कोई अंतर नहीं होगा , ओर हम ही भागी होंगे हर
साल होने वाली 1,16,000 गायों की हत्या के लिए...... आप अगर मीठाई की दुकान चलाते हे तो चाँदी का वर्क
लगी मिठाई ना बेचे ..... मेरे भाइयों।
गौहत्या को रोकने के हम एकीकृत छोटे छोटे प्रयास हम अपने स्वयं से शुरू करे।
आप इस आन्दोलन की शुरुआत हम अपने घर से करे,
चाँदी के वर्क वाली मिठाई ना तो ख़रीदे, ना किसी की दी हुई स्वीकार करे और
ना ही बेचे। जिस भी घर आप मिलने जाओ, वहा यदि आपकी चाँदी वर्क वाली मिठाई
दी जाती है तो उसे ना खाए और उन घर वालो को भी संक्षिप्त में बताये कि आप
क्यों नहीं खा रहे है।
- Jai Shree Radhe Radhe
Wednesday, March 4, 2015
Few Adjustment You Need In Life
गरीब दूर तक चलता है..... खाना खाने के लिए......।
अमीर मीलों चलता है..... खाना पचाने के लिए......।
किसी के पास खाने के लिए..... एक वक्त की रोटी नहीं है.....
किसी के पास खाने के लिए..... वक्त नहीं है.....।
कोई लाचार है.... इसलिए बीमार है....।
कोई बीमार है.... इसलिए लाचार है....।
कोई अपनों के लिए.... रोटी छोड़ देता है...।
कोई रोटी के लिए..... अपनों को छोड़ देते है....।
ये दुनिया भी कितनी निराळी है। कभी वक्त मिले तो सोचना....
Tuesday, March 3, 2015
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